वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विद्या है जो हमारे जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव बताती है। जब घर या किसी भवन का निर्माण वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार नहीं होता, तो उसे वास्तु दोष कहा जाता है। वास्तु दोष का सीधा प्रभाव हमारे जीवन की समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति पर पड़ सकता है।
घर में वास्तु दोष के संकेत
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं अगर घर के सदस्य बार-बार बीमार पड़ते हैं या किसी विशेष बीमारी से पीड़ित रहते हैं, तो यह वास्तु दोष का संकेत हो सकता है। वास्तु शास्त्र में मुख्यतः उत्तर-पूर्व दिशा को स्वास्थ्य से जोड़ा जाता है। इस दिशा में रुकावट या गलत निर्माण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
- आर्थिक तंगी बार-बार आर्थिक नुकसान या धन का सही उपयोग न हो पाना भी वास्तु दोष का संकेत है। दक्षिण-पूर्व दिशा को धन और समृद्धि से जोड़ा जाता है। अगर इस दिशा में कोई दोष है, तो यह आपकी वित्तीय स्थिति को प्रभावित कर सकता है।
- नींद में खलल बेडरूम का गलत दिशा में होना या शयन कक्ष का वास्तु के विपरीत होना आपके सोने के पैटर्न को प्रभावित कर सकता है। अच्छी नींद न आना या नींद में खलल भी वास्तु दोष का एक मुख्य कारण हो सकता है।
- विवाह या संबंधों में तनाव अगर परिवार में लगातार झगड़े होते हैं या विवाह में समस्या आती है, तो यह भी वास्तु दोष का संकेत हो सकता है। घर के पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम दिशा का दोष आपके संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
- व्यवसाय में रुकावट अगर घर या ऑफिस में कामकाज में बार-बार रुकावट आती है या व्यवसाय नहीं बढ़ रहा है, तो यह भी वास्तु दोष के कारण हो सकता है। इसके लिए मुख्यतः उत्तर दिशा और दक्षिण-पश्चिम दिशा का ध्यान रखना जरूरी है।
वास्तु दोष को कैसे पहचानें?
- दिशाओं का विश्लेषण घर के मुख्य द्वार और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों की दिशा का सही होना बहुत महत्वपूर्ण है। उत्तर-पूर्व दिशा का अवरोध या दक्षिण-पश्चिम दिशा में जल स्रोत का होना वास्तु दोष को दर्शाता है।
- प्राकृतिक प्रकाश और वायु प्रवाह घर में उचित प्राकृतिक प्रकाश और वायु का प्रवाह न होना भी वास्तु दोष का संकेत हो सकता है। उत्तर-पूर्व दिशा में अधिकतम खुलापन होना चाहिए ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सके।
- कंट्रास्ट और सामग्री का असंतुलन घर में रंगों और सामग्री का सही संतुलन भी जरूरी है। जैसे कि रसोई के लिए आग्नेय तत्वों का प्रभाव दक्षिण-पूर्व में होना चाहिए। इसी प्रकार बाथरूम और शौचालय का सही स्थान वास्तु शास्त्र के अनुसार होना चाहिए।
वास्तु दोष के उपाय
- दिशाओं के अनुसार सजावट अपने घर के कमरों और मुख्य द्वार को सही दिशा में रखना महत्वपूर्ण है। यदि संभव हो, तो मुख्य द्वार को उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें।
- आयुर्वेदिक पौधों का उपयोग तुलसी, मनी प्लांट और अन्य पौधे जो सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं, उन्हें उत्तर-पूर्व दिशा में लगाएं।
- दर्पण का सही स्थान वास्तु दोष को दूर करने के लिए दर्पण का सही स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। इसे मुख्यतः उत्तर दिशा में लगाना चाहिए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा प्रतिबिंबित हो सके।